कांग्रेस बाबरी मस्जिद की शहादत के लिए माफ़ी मांगे

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नई दिल्ली. शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने कहा है कि आम चुनाव में मुसलमान उसी सियासी का समर्थन करेंगे जो उनके लिए आरक्षण की व्यवस्था करने का यक़ीन दिलाएगा. साथ ही उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस बाबरी मस्जिद की शहादत के लिए माफ़ी मांगे तो मुसलमान उसका समर्थन करने पर सोच कर सकते हैं।

कल जामा मसजिद में जुमे की नमाज़ अदा करने पहुंचे लोगों से मुखातिब होते हुए शाही इमाम ने कहा कि सभी सियासी दलों पर मुसलमानों को नजरअंदाज किया है. आजादी के बाद से आज तक सभी दलों ने मुसलमानों का सिर्फ़ अपने वोट बैंक के तौर पर ही इस्तेमाल किया है।

उन्होंने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव और कल्याण सिंह की दोस्ती को मुसलमानों के साथ विश्वासघात क़रार दिया. उन्होंने कहा कि मुलायम सिंह ने बाबरी मस्जिद को शहीद करने वालों का हाथ पकड़कर ठीक नहीं किया है। उन्होंने बसपा पर भी भाजपा से मिलीभगत का आरोप लगाया .

शाही इमाम ने चुनावों में मुसलमानों की घटती भागीदारी पर चिंता ज़ाहिर करते हुए कहा कि देश मुसलमानों ने हमेशा हिंदू नेतृत्व और धर्मनिरपेक्षता की राजनीति करने वाले दलों को तरजीह दी है, लेकिन किसी भी दल ने मुसलमानों को सुरक्षा, शिक्षा और रोजगार दिलाने की कोशिश नहीं की.

क़ाबिले-ज़िक्र है कि पिछले लोकसभा चुनाव में शाही इमाम ने मुसलमानों से भाजपा का समर्थन करने की अपील की थी जिसे मुसलमानों ने पूरी तरह से नकार दिया था, जिसके चलते बुखारी के अपने गढ़ यानि मुसलिम बहुल चांदनी चौक संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार कपिल सिब्बल भारी मतों से चुनाव जीत गए थे। इतना ही नहीं भाजपा का समर्थन करने पर शाही इमाम की ख़ासी किरकिरी भी हुई थी. बहरहाल, इस बार शाही इमाम ने अपनी गलती से सबक़ लेते हुए चांदनी चौक में कांग्रेस का समर्थन करने का ऐलान किया है।

ख़बर लिखे जाने से पहले चांदनी चौक संसदीय क्षेत्र में ही इस मसले पर तक़रीबन 50-60 लोगों की ज़बानी राय ली गई तो क़रीब 80 फीसदी लोगों ने शाही इमाम के बयान को सिर्फ़ इस वजह से ही ख़ारिज कर दिया कि शाही इमाम सिर्फ़ ‘इमाम’ हैं, अगर उन्हें सियासी बयानबाज़ी करनी है तो उन्हें इमामत छोड़कर व मस्जिद से बाहर आकर किसी सियासी दल में शामिल होकर या अपना सियासी दल बनाकर सियासी भाषणबाज़ी करनी चाहिए.

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