
– तनवीर जाफ़री –
प्रायः अधिक गर्मी के मौसम में अधिकांश वायरस प्रभाव विहीन हो जाते हैं या नष्ट हो जाते हैं। परन्तु कहा जसा रहा है कि कोरोना वायरस एक ऐसा विलक्षण वायरस है जो 37 डिग्री सेल्सियस पर भी इन्सान के शरीर में जीवित रहता है। यही वजह है कि अभी तक कोरोना को निष्क्रिय करने वाले निश्चित व सटीक तापमान का अंदाज़ा नहीं लगाया जा सका है। कोरोना वायरस को लेकर अब तक जो भी दावे सामने आ रहे हैं, उनमें से ज़्यादातर का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। इस वायरस को लेकर अभी कोई पुख़्ता अध्ययन नहीं है। अभी तक ऐसा माना जा रहा है कि तापमान बढ़ने पर ये वायरस स्वतः ख़त्म हो जाएगा या इसका प्रकोप बहुत कम हो जाएगा। हालांकि, इसकी कोई वैज्ञानिक पुष्टि नहीं है।। इसीलिये विश्व स्वास्थ्य संग्ठन ने पूरी दुनिया को इससे गंभीरता से लड़ने तथा इससे बचाव के हर संभव उपाय अपनाने की सलाह दी है।
कोरोना वायरस की भयावहता तथा इसके दुष्प्रभाव से लड़ने के उपायों से जूझते स्वास्थ्य वैज्ञानिकों के अथक प्रयासों के बीच इसी कोरोना से जुड़े कुछ ऐसे कई बेतुके वैश्विक तथ्य भी हैं जो सोशल मीडिया से लेकर अनेक समाचार व संचार माध्यमों में प्रमुखता से दिखाई दे रहे हैं। उदाहरण के तौर पर चूँकि इस वायरस की पहली शिनाख़्त चीन के वुहान शहर से हुई इसलिए सर्वप्रथम दुनिया ने चीन के लोगों के खान पान की शैली पर ही सवाल उठाना शुरू दिया। बाद में जब इसकी भयावहता और बढ़ी उस समय चीन से अनेक कारणों से असहज रहने वाले अमेरिका सहित कई देशों व नेताओं ने पूरी तरह से चीन को ही इस वायरस के उत्सर्जन का ज़िम्मेदार बता दिया। अमेरिका को चीन ने भी उसी भाषा में जवाब दिया और कहा कि चीन नहीं बल्कि अमेरिका इसके लिये ज़िम्मेदार है क्योंकि यह अमेरिकी सैनिकों द्वारा पैदा किया गया वायरस है। बीच बहस में शाकाहारी भी कूद पड़े,और मांसाहारी प्रवृति को ही कोरोना का ज़िम्मेदार बताने लगे। इसी बहस में इस्लामी ग्रुप से संबंधित लोगों का कूदना भी शायद ज़रूरी था तभी उस विचारधारा के लोगों ने यह बता डाला कि चीन में चूँकि मुसलमानों पर चीन सरकार ने बड़े ज़ुल्म ढाए थे इसलिए ‘ख़ुदा के क़हर के रूप में यह वायरस अल्लाह का भेजा हुआ अज़ाब है। यह कथित अति उत्साही इस्लामी ग्रुप के लोग यहीं पर नहीं रुके बल्कि इनकी तरफ़ से एक वीडीओ ऐसी भी वॉयरल की गयी जिसमें यह दावा किया गया कि चीन के लोग कोरोना के क़हर से पनाह मांगने के लिए क़ुरान शरीफ़ पढ़ हैं तथा इसे बाँट रहे हैं। परन्तु इस वर्ग की यह आवाज़ उस समय मद्धिम हो गयी जब ईरान में भी इसका भयंकर प्रकोप फैल गया और वहां के कई धर्मगुरु भी इसकी चपेट में आ गए। इतना ही नहीं बल्कि कुछ समय के लिए तो काबा शरीफ़ का दैनिक तवाफ़ (परिक्रमा) भी स्थगित कर दिया गया।
तर्कशीलों द्वारा भी इस अवसर को अपनी तार्किक नज़रों से देखा गया। इस वर्ग द्वारा जनमानस के बीच एक सवाल यह छोड़ा गया कि आज जबकि लगभग कोरोना प्रभावित या कोरोना के दुष्प्रभाव की संभावना रखने वाले देशों ने अपने सभी धर्मों के लोगों को उनके अपने अपने धर्मस्थलों पर उनके अपने इष्ट व देवताओं के समक्ष नतमस्तक होने के लिए रोक दिया। जबकि प्रायः किसी भी विपदा या संकट के समय सभी कथित धर्मभीरु लोग अपने अपने ईष्ट के आगे ही सिर झुकाते हैं तथा संकट से उबरने की प्रार्थना करते हैं। परन्तु वही कथित धर्मपरायण वर्ग इस महाविपदा के समय एक बार फिर विज्ञान,अस्पताल तथा स्वास्थ्य वैज्ञानिकों की शोध की तरफ़ उम्मीद भरी नज़रों से देखने के लिए मजबूर है। तर्कशील वर्ग का तर्क है कि एक बार फिर धार्मिक सोच पर वैज्ञानिक मान्यताओं को जीत हासिल हुई है। हालाँकि दुनिया के देशों द्वारा इस तरह के भीड़ नियंत्रण करने के उपाय इसलिए किये जा रहे हैं ताकि अधिक लोगों को एक साथ इकट्ठे होने से रोका जा सके।
इस महाविपदा के समय में दुनिया का प्रत्येक संवेदनशील व्यक्ति जहाँ इस प्रलयकारी मर्ज़ की भयावहता को सुन सुनकर चिंताओं में डूबता जा रहा है वहीं कोरोना पॉज़िटिव लोगों की दुर्दशा तथा कई देशों में उनके प्रति अपनाए जाने वाले दर्दनाक रवैये से भी आहत है। इस समय पूरे विश्व में कोई भी मानवतावादी व्यक्ति,संस्था या संगठन अथवा देश ऐसा नहीं होगा जो किसी व्यक्ति समूह अथवा पूरे देश के लिए ‘कोरोना प्रभावित’ होने जैसी दुर्भावना रखे। परन्तु दुर्भाग्यवश ऐसे विचार रखने वाला अपने ही देश का एक आग लगाऊ टी वी चैनल ही नज़र आया। मानवीय संवेदनाओं को ताक़ पर रखते हुए पिछले दिनों कोरोना वायरस के सम्बन्ध में एक बेहद नकारात्मक व दहशत पैदा करने वाली रिपोर्ट प्रसारित की। इस प्रसारण में उस ‘महान एंकर’ ने क्या पेश किया होगा इसका अंदाज़ा कार्यक्रम के इस दुर्भावना पूर्ण शीर्षक से ही लग जाता है। शीर्षक था ‘अब कोरोना की मौत मरेगा पाकिस्तान’। मैं नहीं समझता कि ऐसी त्रासदी के समय में किसी भी देश के किसी ज़िम्मेदार न्यूज़ चैनल के किसी एंकर ने इस प्रकार के घटिया व अमानवीयतापूर्ण शीर्षक के साथ किसी कार्यक्रम को प्रस्तुत किया होगा। परन्तु दुर्भाग्यवश कोरोना के इस विश्वव्यापी प्रकोप के समय ‘करुणा’ का त्याग करने वाला यह चैनल भारत जैसे ‘करुणामयी’ देश का ही एक चैनल है। नित्य भयावह होते जा रहे इस वातावरण में अनेक मानवतावादी यह सोचने के लिए मजबूर हैं कि विश्व के बड़े भाग में ‘कोरोना’ वायरस का पैर पसारना कहीं मानव में ‘करुणा’ भाव व मानवीय संवेदनाओं में निरंतर आती जा रही कमी का परिणाम तो नहीं ?
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Tanveer Jafri
Columnist and Author
Tanveer Jafri, Former Member of Haryana Sahitya Academy (Shasi Parishad),is a writer & columnist based in Haryana, India.He is related with hundreds of most popular daily news papers, magazines & portals in India and abroad. Jafri, Almost writes in the field of communal harmony, world peace, anti communalism, anti terrorism, national integration, national & international politics etc.
He is a devoted social activist for world peace, unity, integrity & global brotherhood. Thousands articles of the author have been published in different newspapers, websites & news-portals throughout the world. He is also recipient of so many awards in the field of Communal Harmony & other social activities.
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