और अब जेएनयू को अनुसंधान हेतु राष्ट्रपति सम्मान

0
23

– निर्मल रानी –

article on jnu, jnu kandगत् 9 फरवरी से पूरे देश में चर्चा का विषय बने देश के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय नई दिल्ली के छात्रों ने एक बार फिर अपने आलोचकों तथा विरोधियों का मुंह बंद करते हुए नवाचार एवं अनुसंधान के क्षेत्र में पूरे देश में अपना परचम फहराया है। जिस विश्वविद्यालय को देशद्रोहियों तथा राष्ट्रविरोधी गतिविधियों का अड्डा बताकर बदनाम करने की साजि़श रची जा रही थी उसी विश्वविद्यालय अर्थात् जेएनयू ने नवाचार तथा अनुसंधान के क्षेत्र में तीन में से दो पुरस्कार अर्जित कर अपनी योग्यता तथा वैज्ञानिक क्षेत्र में अपनी उपलब्धि का लोहा मनवाया है। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा गत् वर्ष इन सम्मानों को शुरु किए जाने की घोषणा की गई थी। जेएनयू को नवाचार तथा अनुसंधान के क्षेत्र में दो राष्ट्रपति पुरस्कार हासिल हुए हैं जबकि आसाम के तेजपुर विश्वविद्यालय को एकडेमिक एक्सिलेंस तथा संपूर्ण प्रदर्शन (ऑवर ऑल परफारमेंस) के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार देने की घोषणा की गई है। जेएनयू को ऐंथ्रक्स के विरुद्ध वेक्सीन तथा एंटीबॉडी आविष्कार हेतु पुरस्कृत किए जाने की घोषणा की गई है। जबकि जेएनयू के ही मॉलिकुलर पैरासिटोलोजी ग्रुप को मलेरिया,अमोएवा तथा कालाज़ार पैरासाईटस हेतु अनुसंधान एवार्ड देने की घोषणा की गई है। राष्ट्रपति भवन से जारी की गई एक घोषणा के अनुसार अवार्ड की प्रत्येक श्रेणी में लगभग दस प्रविष्टियां प्राप्त की गई थीं जिन्हें विशेषज्ञों द्वारा जांचने व परखने के बाद उक्त अवार्ड घोषित किए गए। उपरोक्त सभी सम्मान 14 मार्च को राष्ट्रपति महोदय द्वारा दिए जाने की संभावना है।

गौरतलब है कि जेएनयू वही विश्वविद्यालय है जिसके आलोचक महज़ राजनैतिक दुर्भावना के चलते इस शिक्षण संस्थान पर न केवल देशद्रोहियों का अड्डा व असामाजिक तत्वों का गढ़ होने जैसा भद्दा आरोप लगाते रहे हैं बल्कि इस शिक्षण संस्थान पर यह कहकर भी उंगली उठाई जाती रही है कि आिखर यहां महत्वपूर्ण अनुसंधान क्यों नहीं होते? इस अवार्ड ने स्वयं यह साबित कर दिया है कि जेएनयू केवल स्वतंत्र विचारों के पनपने का केंद्र ही नहीं बल्कि देश के विकास,अनुसंधान तथा वैज्ञानिक खोज व परख के क्षेत्र में मानवता व राष्ट्र की सेवा किए जाने में भी किसी से पीछे नहीं है। कितने दु:ख का विषय है कि महज़ वामपंथी विचारधारा का विरोध करने की गरज़ से सत्ता का दुरुपयोग करते हुए पिछले दिनों इस विश्वविद्यालय के छात्रों को किस हद तक बदनाम करने की कोशिश की गई? इस अवार्ड ने निश्चित रूप से उन अशिक्षित,बड़बोले तथा घटिया मानसिकता रखने वाले नेताओं के मुंह पर ज़रूर ताला लगा दिया होगा जो जेएनयू परिसर में कथित रूप से रोज़ाना पाई जाने वाली शराब की बोतलें,कंडोम,सिगरेटऔर बीड़ी के टुकड़े,मांस की छोटी व बड़ी हड्डियां आदि की गिनती करने में अपना बहुमूल्य समय लगा रहे थे। इस प्रकार के आरोपों से साफ हो जाता है कि ऐसी विचारधारा रखने वाले लोग महज़ निजी व राजनैतिक कुंठा के चलते इस प्रकार की घटिया बातें कर यहां के छात्र व छात्राओं को बदनाम करने की कोशश कर रहे थे। और इस शिक्षण संस्थान को बदनाम करने की एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में यहां के छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार को देशद्रोह जैसे संगीन अपराध में गिरफ्तार कर उसे जेल भी भेज दिया गया।

केंद्र सरकार के अधीन काम करने वाली दिल्ली पुलिस की कन्हैया को देशद्रोही बताने की साजि़श उस वक्त धरी की धरी रह गई जबकि दिल्ली पुलिस कन्हैया के विरुद्ध देशद्रोह संबंधी कोई भी सुबूत अदालत को मुहैया नहीं करवा पाई। और तो और इस साजि़श की इंतेहा तो तब हो गई जबकि कन्हैया कुमार को देशद्रोही बताने वाला वह वीडियो जिसमें उसे पाकिस्तान के पक्ष में तथा अपने देश के विरुद्ध व कश्मीर की स्वतंत्रता संबंधी नारे लगाते हुए दिखाया गया था और ऐसे ही वीडियो कई टीवी चैनल पर भी प्रसारित किए गए थे, जांच रिपोर्ट में पाया गया कि यह सभी वीडियो फजऱ्ी हैं तथा इन्हें पूरी योजना व साजि़श के साथ मात्र जेएनयू को बदनाम करने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। इसी विषय पर एक और बात यह बेहद चिंतनीय है कि जब जांच रिपोर्ट में यह बात सामने आ गई कि वह वीडियो छेड़छाड़ कर तैयार किया गया जिसे टीवी चैनल्स द्वारा प्रसारित किया गया और उसी के आधार पर कन्हैया को गिरफ्तार भी किया गया फिर आिखर उन लोगों के विरुद्ध अब तक कोई कार्रवई क्यों नहीं हो रही है जिन्होंने झूठ और मक्कारी की बुनियाद पर देश के इतने सम्मानित शिक्षण संस्थान तथा वहां पढऩे वाले छात्रों व छात्राओं को बदनाम करने का षड्यंत्र रचा? यही नहीं बल्कि कन्हैया को पुलिस द्वारा इन्हीं मनगढं़त आरोपों में गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया गया उस समय कई वकीलों द्वारा कन्हैया की पिटाई भी की गई। बाद में पता यह भी चला कि जिन स्वयंभू देशभक्तों द्वारा कन्हैया के साथ दुवर््यवहार किया गया उनमें कुछ वकील न केवल भारतीय जनता पार्टी के समर्थक व सदस्य हैं बल्कि उनमें एक वकील ऐसा भी था जिस पर ज़मीन-जायदाद की खरीद-फरोख्त के सिलसिले में 45 लाख रुपये का फ्ऱाड किए जाने का मुकद्दमा भी अदालत में विचाराधीन है। इस सिलसिले में वह जेल भी जा चुका है और अब भी वह वकील ज़मानत पर है। और िफलहाल कन्हैया जैसे छात्रों की पिटाई कर अपनी तथाकथित राष्ट्रभक्ति का परिचय देता फिर रहा है।

जेएनयू के प्रति कुंठा का पैमाना किस हद तक पहुंच गया है इस बात का अंदाज़ा इससे भी लगाया जा सकता है कि बावजूद इसके कि कन्हैया को अदालत ने अंतरिम ज़मानत भी दे दी है,बावजूद इसके कि दिल्ली पुलिस जिसने उसे देशद्रोही गतिविधियों के आरोप में गिरफ्तार किया था,उसके विरुद्ध अदालत में कोई ऐसा प्रमाण देने में असमर्थ रही जिसके आधार पर उसे देशद्रोही साबित किया जा सकता। इस सब के बावजूद कन्हैया के विरुद्ध जिस प्रकार की उकसाने वाली तथा आपराधिक घोषणाएं की जा रही हैं उससे स्वयं यह स्पष्ट हो जाता है कि वास्तव में देश के विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त करने वाला एक छात्र देशद्रोही है या फिर उसके विरुद्ध ऐसी आपराधिक घोषणाएं करने वाले लोग? योगी आदित्यनाथ भाजपा के सांसद हैं तथा अपने विवादित बयानों के चलते सुिर्खयों में रहना उनकी आदत सी बन गई है। वे कन्हैया के सदर्भ में फरमाते हैं कि जेएनयू तो क्या देश के किसी भी विश्वविद्यालय में जिन्ना को पैदा नहीं होने दिया जाएगा बल्कि जिन्ना को पैदा होने से पहले ही दफन कर देंगे। कन्हैया व जिन्ना की जेएनयू के संदर्भ में तुलना करने की आिखर क्या ज़रूरत पड़ गई? परंतु योगी द्वारा ऐसी ज़रूरत महसूस की जा रही है। इसी प्रकार उत्तर प्रदेश के बदायूं में एक भाजपाई नेता द्वारा कन्हैया की जीभ काटने वाले को पांच लाख का इनाम देने की घोषणा कर दी गई। क्या यह राष्ट्रभक्ति की दलील है? इसी तरह दिल्ली में एक नामनिहाद संगठन द्वारा पोस्टर चिपकाए गए जिसमें कन्हैया को गोली मारने वाले को 11 लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की गई है। इस प्रकार की घोषणा क्या राष्ट्रवाद का उदाहरण है? हो भी सकती है परंतु केवल उस विचारधारा के लोगों के लिए जिनकी नज़रों में गांधी की हत्या भी कथित राष्ट्रवादी नाथूराम गोडसे द्वारा की गई थी।

आज देश में इसी दक्षिणपंथी विचारधारा में पोषित होने वाले कई संगठन ऐसे हैं जो महात्मा गांधी को राष्ट्रविरोधी समझते हैं और नाथू राम गोडसे को सबसे बड़ा देशभक्त। इसी विचारधारा के कई संगठन भारतीय संविधान तथा राष्ट्रीय ध्वज को स्वीकार करने से भी इंकार करते हैं। परंतु जब बात जेएनयू का विरोध करने की हो या जेएनयू को बदनाम करने की या वहां के छात्रसंघ के अध्यक्ष के विरुद्ध मोर्चा खोलने की तो यही ताकतें हाथों में तिरंगा लेकर राष्ट्रवाद की सबसे बड़ी हिमायती बनी दिखाई देने लगती हैं। यदि वास्तव में जेएनयू देशद्रोहियों का अड्डा है तथा यहां एय्याशी,व्याभिचार तथा आपराधिक गतिविधियों के सिवा और कुछ नहीं होता फिर आिखर इसी विश्वविद्यालय के कई एबीवीपी नेताओं द्वारा अपना संगठन क्यों त्याग दिया गया? इस विषय पर कोई भी दक्षिणपंथी नेता न तो सोचने की ज़हमत करता है न ही इसका जवाब देना ज़रूरी समझता है। बल्कि खबरें तो अब यह भी आ रही हैं कि जेएनयू को बदनाम करने की साजि़श का पर्दाफाश करते हुए जिन एबीवीपी नेताओं ने इस संगठन से अपना नाता तोड़ लिया था अब उन्हें मारने की धमकियां भी दी जाने लगी हैं। गोया तथाकथित स्वयंभू राष्ट्रवादी शक्तियां हर समस्या का समाधान तथा प्रत्येक विरोध का जवाब केवल हिंसा तथा दूसरे के विरुद्ध साजि़श रचकर उसे बदनाम किए जाने में ही तलाश करती हैं। परंतु जब-जब जेएनयू जैसे शिक्षण संस्थानों से शिक्षित छात्र निकल कर देश के महत्वपूर्ण पदों पर सेवारत रहकर देश की सेवा करते हुए दिखाई देते हैं अथवा शोध एवं अनुसंधान के क्षेत्र में उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार मिलने की घोषणा होती है उस समय ऐसी साजि़श करने वाली शक्तियों के पास अपना मुंह छुपाने के अतिरिक्त कोई दूसरा रास्ता नहीं बचता।

__________________

परिचय – :

निर्मल रानी

लेखिका व्  सामाजिक चिन्तिका

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर निर्मल रानी गत 15 वर्षों से देश के विभिन्न समाचारपत्रों, पत्रिकाओं व न्यूज़ वेबसाइट्स में सक्रिय रूप से स्तंभकार के रूप में लेखन कर रही हैं !

संपर्क : – Nirmal Rani  : 1622/11 Mahavir Nagar Ambala City13 4002 Haryana ,  Email : nirmalrani@gmail.com –  phone : 09729229728

* Disclaimer : The views expressed by the author in this feature are entirely her own and do not necessarily reflect the views of INVC NEWS

आप इस लेख पर अपनी प्रतिक्रिया  newsdesk@invc.info  पर भेज सकते हैं।  पोस्‍ट के साथ अपना संक्षिप्‍त परिचय और फोटो भी भेजें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here