ऑपरेशन 'लोकपाल - जोकपाल': गुरु - चेले आमने सामने
आई एन वी सी,
दिल्ली,
आम आदमी पार्टी और अन्ना हज़ारे के बीच की नाज़ुक डोर भी आज अंतत: टूट ही गई। लोकपाल का जो तार किसी तरह से इन दोनोँ को बांधे हुए था उस तार की भी आज इतिश्री हो ही गई। लेकिन जिस तरह से आज अरविंद और उनके साथियोँ ने खुद को इस 'जोकपाल' से अलग किया है उसका असली कारण जानना बेहद ज़रुरी है।और ये भी अब गौर करने लायक बात है कि अगर आज ''आप'' खुद को 'लोकपाल' से अलग कर रही है तो उसके 18 सूत्री मुद्दोँ में से एक तो अपने आप ही कम हो जाता है और जिस मुद्दे को कानूनी जामा पहनाने का ख्वाब लेकर ''आप'' इस राजनैतिक समर में उतरी थी अब उस रणक्षेत्र का असल हाल क्या होगा?
लोकपाल बिल पर रविवार को आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल और प्रशांत भूषण ने एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित किया। इसमें केजरीवाल ने कहा कि अन्ना को कुछ लोग गुमराह करे रहे हैं। अन्नाजी का स्वस्थ रहना देश के लिए ज़रूरी है। केजरीवाल ने अपील की कि अन्ना अनशन से उठ जाएं। इसी के साथ केजरीवाल बोले, लोकपाल को अन्ना के समर्थन से चकित हूं। उन्होंने कहा, सीबीआई को सरकार के चंगुल से निकालना ही होगा। सरकारी लोकपाल से मंत्री तो क्या चूहा भी जेल नहीं जाएगा। उन्होंने कहा,सरकारी लोकपाल महज़ एक जलेबी की तरह है। प्रशांत भूषण ने भी अपनी बात रखते हुए कहा कि बिल में अन्ना की तीनों शतों की अनदेखी हुई है। उन्होंने कहा, राज्यसभा में पेश किए गए बिल में सब सरकार के नियंत्रण में है। सरकार के पास ही लोकपाल की नियुक्ति के अधिकार हैं। लोकपाल के हाथ में जांच का अधिकार नहीं है व जिनकी जांच हो रही है वही आखिर लोकपाल बनाएंगे। प्रशांत भूषण ने ये भी कहा कि किसी ने सरकारी बिल नहीं देखा है।
वहीँ अन्ना हज़ारे ने शनिवार की शाम रालेगण में कहा कि सरकार जो लोकपाल बिल ला रही है, वह अच्छा है। उन्होंने कहा कि मेरे आंदोलन से सरकार ऐसा बिल लेकर आई है। साथ ही उन्होंने कहा, 'लगता है कि अरविंद केजरीवाल ने इस बिल को ठीक से पढ़ा नहीं है। उन्हें बिल ठीक से पढ़ना चाहिए। फिर भी उन्हें कमियां नजर आ रही हैं तो वह आंदोलन के लिए स्वतंत्र हैं।'
'आप' नेता कुमार विश्वास ने इस मुद्दे को एक अलग ही रंग देते हुए अन्ना हज़ारे की तुलना द्रोणाचार्य और भीष्म से कर डाली और कहा कि वे 'सिंहासन' से जा मिले हैं। कुमार विश्वास ने फेसबुक पर लिखा है, 'महासमर में कभी-कभी ऐसा समय आता है कि पितामह भीष्म के मौन और गुरु द्रोण के सिंहासन से सहमत हो जाने पर भी कंटकपूर्ण पथ पर चलकर पांच पांडवों को युद्ध ज़ारी रखना पड़ता है। सत्य की राह सारी परीक्षा दिए बिना आगे नहीं जाने देती।अन्ना सरकारी लोकपाल बिल से सहमत हैं और चाहते हैं कि जल्द से जल्द उसे पास कर दिया जाए। उन्होंने अन्ना के बदले रुख को पूरी तरह से विश्वासघात बताया है।
दूसरी तरफ अन्ना हज़ारे की करीबी किरण बेदी ने केजरीवाल टीम को करारा जवाब देते हुए कहा कि ये सारे लोग लोकपाल की नींव थे।अब जब लोकपाल पारित हो रहा है और वे इस आंदोलन से अलग हो गए हैं। झल्लाहट में अनाप-शनाप आरोप लगा रहे हैं और अन्ना पर गुमराह होने का आरोप लगा रहे हैं लेकिन आखिर अन्ना को कौन गुमराह कर सकता है?
गौरतलब है कि अन्ना हज़ारे ने राज्यसभा में पेश मौजूदा लोकपाल बिल के स्वरूप पर जहां खुशी जताई है, वहीं, केजरीवाल ने कहा कि लोकपाल के मुद्दे पर अन्ना हज़ारे को भ्रमित किया जा रहा है। वह उनकी मांगों को पूरा नहीं करता और यह `जोकपाल` बनेगा। अपने गांव रालेगण सिद्धी में अनशन पर बैठे अन्ना ने कहा कि लोकपाल के दायरे में सीबीआई और सीवीसी को भी रखा गया है और ऐसा लगता है कि सीबीआई लोकपाल के पूरे नियंत्रण में रहेगी। अन्ना ने कहा कि बिल जैसे ही राज्यसभा में पारित होगा, लोकसभा इसका अनुमोदन करेगी और राष्ट्रपति कानून बनाने के लिए इस पर दस्तख्त करेंगे, मैं अपना अनशन समाप्त कर दूंगा। अन्ना ने कहा कि बिल से उनकी बहुत सी मांगें पूरी हो रही है और उन्होंने राज्यसभा में शुक्रवार को पेश किए गए बिल की प्रशंसा भी की । उन्होंने कहा कि मैंने बिल का जितना भी मसौदा देखा है, मैं उससे संतुष्ट हूं और उसका स्वागत करता हूं। वह कुछ मुद्दे विधेयक में जोड़ना चाहते थे, जो छूट गए हैं, लेकिन इससे वह निराश नहीं हैं। लेकिन अपनी बात रखते हुए और अन्ना के इतने त्वरित तरिके से बदले हुए रूप पर केजरीवाल ने यह भी कहा कि इस लोकपाल से सिर्फ कांग्रेस को फायदा होगा और राहुल गांधी इसका श्रेय लेना चाहते हैं।अब आखिर में एक बात फिर दिमाग को झकझोरता है कि जब ऑपरेशन 'लोकपाल –जोकपाल' के हालात ऐसे नाज़ुक मोड़ पर आ गये हैं ,तब सवाल ये उठता है की क्या अरविंद एंड पार्टी अब मजबूत जनलोकपाल को लाने के लिए फिर से अनशन या कोई बहुत बड़ा जन आंदोलन खड़ा कर पायेंगे???