उपचार प्रोटोकॉल को बदलने की कोई आवश्यकता नहीं

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ब्रिटेन में पाए गए कोरोना के नए स्ट्रेन ने दुनियाभर में भय का माहौन पैदा कर दिया है। दुनियाभर के देश खुद को इस नए स्ट्रेन से बचाने में जुटे हैं। यूरोप के कई देशों में वायरस के इस नए वेरियंट से जुड़े केस मिल रहे हैं। खतरा बढ़ रहा है और इसीलिए इससे बचने के हर संभावित उपाय किए जा रहे हैं,  भारत में कोविड -19 के प्रयासों को व्यवस्थित करने और सुविधा प्रदान करने के लिए सरकार द्वारा गठित राष्ट्रीय टास्क फोर्स (NTF) ने कहा है कि ब्रिटेन में उभर रहे म्यूटेशन को देखते हुए मौजूदा उपचार प्रोटोकॉल को बदलने की कोई आवश्यकता नहीं है।

जिसका मतलब है कि वायरस से निपटने के लिए जो तरीके हम अपना रहे हैं हमें बस उन्हीं का अनुसरण करना है. एनटीएफ की एक बैठक शनिवार को आयोजित की गई थी जहां सरस-कोव -2 वायरस के परीक्षण, उपचार और निगरानी की रणनीतियों में साक्ष्य-आधारित संशोधनों पर चर्चा की गई थी।
 
ये मीटिंग इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) द्वारा बुलाई गई थी जो नीति आयोग के सदस्य डॉ विनोद पॉल  और आईसीएमआर के महासचिव डॉ बलराम भार्गव की सह-अध्यक्षता में हुई थी। इस बात पर बल दिया गया कि ब्रिटेन में दिख रहा कोरोना का नया स्ट्रेन कोरोना वायरस की गति को बढ़ा सकता है और इससे संक्रमित हुए लोगों की पहचान करना भी आसान नहीं है। 

NTF ने निष्कर्ष निकाला कि तनाव में उभरने वाले उत्परिवर्तन को देखते हुए मौजूदा उपचार प्रोटोकॉल को बदलने की कोई आवश्यकता नहीं है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एनटीएफ की बातों कि सिफारिश करते हुए कहा चूंकि आईसीएमआर ने हमेशा ars-CoV-2 के परीक्षण के लिए दो या  उससे अधिक जीन assays के उपयोग की वकालत की है।

एनटीएफ ने इसलिए वर्तमान परीक्षण रणनीति का उपयोग करके हम संक्रमित मामलों की पहचान कर सकते हैं। मास्क पहन कर सोशन डिस्टेंसिंग का पालन करके और जब वैक्सीन उपलब्ध हो जाए तो उसके इस्तेमाल करके हम इस वायरस से अपना बचाव कर सकते हैं।
 

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