
आई एन वी सी,
देहरादून,
मुख्यमंत्री के मीडिया प्रभारी सुरेन्द्र कुमार ने बताया है कि मुख्यमंत्री हरीश रावत ने विगत वर्ष प्रदेश में आयी आपदा में मृत एवं लापता हुए लोगों के प्रति अपनी श्रद्धांजलि व्यक्त की है। मुख्यमंत्री श्री रावत द्वारा जारी अपने संदेश में कहा गया है कि उत्तराखण्ड में आयी आपदा हम सभी के लिए एक दुखद घटना थी, जिससे हम सभी आहत है। इस महाप्रलय आपदा ने प्रदेश की आर्थिक एवं ढांचागत विकास की कमर तोड़ दी है, जिससे हमारी सरकार उबरने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि राज्य सरकार ने इस आपदा से निपटने में अपने स्तर पर हर संभव प्रयास किये है, राहत एवं बचाव कार्य संचालित कर बड़ी संख्या में लोगों की जान को बचाया गया है। इस आपदा से स्थानीय लोगों के जानमाल की क्षति हुई है, उसकी भरपाई कोई नही कर सकता है। उन्होंने कहा कि इस आपदा में राज्य सरकार ने केन्द्र के सहयोग से राहत एवं बचाव कार्य युद्ध स्तर पर शुरू किये। केन्द्र से राज्य को पुनर्निर्माण के लिए जो धनराशि मिली है, उसका उपयोग ठोस कार्ययोजना तैयार कर किया जा रहा है। राज्य सरकार द्वारा मृत/लापता व्यक्तियों के परिवारों को रूपये 05 लाख, अपंग व्यक्तियों को रूपये 02 लाख, घायल व्यक्तियों को रूपयें 30 हजार तथा पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त भवनों को रुपये 02 लाख की अनुग्रह धनराशि दी गई है। भूमि की क्षति पर रुपये 08 हजार प्रंति नाली की दर से अनुग्रह धनराशि दी गई है। गाय/भैस/बछिया जैसी दुधारू पशुओं की मृत्यु पर रुपये 20 हजार अनुग्रह धनराशि दी गई है। बकरी एवं भेड की मृत्यु पर रुपये 03 हजार प्रति पशु की दर से अनुग्रह धनराशि दी गई है। गधे की मृत्यु पर रुपये 25 हजार तथा आपदा में मारे गये घोडे एवं खच्चर की मृत्यु पर रुपये 50 हजार प्रति पशु की अनुग्रह धनराशि दी गई है। प्राकृतिक आपदा से गन्ने की फसल को भी अतिरिक्त राहत सहायता प्रदान की गई है। आपदा में क्षतिग्रस्त ढाबे एवं अन्य दुकानों को रुपये 50 हजार से 01 लाख रुपये तक की सहायता राशि अनुमन्य की गई है। क्षतिग्रस्त होटलों को रुपये 02 लाख की क्षति पर लागत का शत-प्रतिशत तथा रुपये 20 लाख तक की लागत पर रुपये 6.40 लाख की सहायता राशि दी गई है। रुपये 20 लाख से अधिक की लागत की क्षति पर वास्तविक क्षति का 10 प्रतिशत अनुग्रह राशि दी गई है। आपदा प्रभावित क्षेत्रों में कक्षा 12 तक अध्ययनरत शिक्षार्थियों को रुपये 500 तथा उच्च/तकनीकी संस्थाओं में अध्ययनरत छात्रों को रुपये 1000 की धनराशि दी गई है।
राज्य सरकार द्वारा अनाथ बच्चों के पालन-पोषण का व्यय भार वहन किया जा रहा हैै। आपदा प्रभावित परिवारो के बिजली के बिल एवं जलकर को मार्च 2015 तक माफ कर दिया गया हैै। आपदा प्रभावित व्यक्तियों के सहकारी बैंक से लिये गये ऋ़णों को 02 वर्ष के लिये स्थगित किया गया है तथा राष्ट्रीयकृत बैकों द्वारा दिये गये ऋणों की किश्तों को भी 01 वर्ष के लिये स्थगित कर दिया गया है। आपदा से बेघर परिवारों को स्वयं का आवासीय भवन उपलब्ध होने तक रुपये 03 हजार प्रतिमाह की धनराशि किराये के आवास के लिये दी जा रही है। सरकार द्वारा जहां निजी भूमि पर स्थित सम्पत्तियों को राहत सहायता दी जा चुकी है, उसी के क्रम में सरकारी भूमि पर स्थित निजी/व्यवसायिक सम्पत्तियों की क्षति पर राहत सहायता अनुमन्य कर दी गई है। तिलवाडा से श्री केदारनाथ धाम तक स्थित विभिन्न प्रकार की व्यवसायिक प्रतिष्ठानों को हुई क्षति के सम्बन्ध में उनके द्वारा किये गये स्वमूल्यांकन के आधार पर मुख्यमंत्री राहत कोष से धनराशि तथा वीर चन्द्र सिंह गढवाली योजना से अनुदान दिया गया है। कंडी/पालकी के क्षतिग्रस्त होने पर उनके 10 हजार रुपये प्रति पालकी एवं अधिकतम 10 पालकियों की क्षति पर राहत सहायता देने का निर्णय। पालकी ढोने वाले तथा घोडे/खच्चर के साथ चलने वाले मजदूरोे को भी रुपये 10 हजार की धनराशि दी गयी है। आपदा में विभिन्न स्थानों पर नदियों में बह गये /फंसे रह गये वाहनों के स्वामियों को रुपये 50 हजार, वाहन चालको को रुपये 50 हजार, परिचालको रुपये 40 हजार की धनराशि दी गयी है। कन्याओं के विवाह के लिये रुपये 01 लाख की सावधि जमा (एफ डी) प्रदान की गयी है, जो विवाह के समय ही भुगतान होगी।
आपदा से क्षतिग्रस्त लगभग 2500 आवासीय भवनों के निर्माण हेतु 02 लाख रुपये की अहेतुक सहायता के अतिरिक्त रुपये 05 लाख का प्रति आवास हेतु अनुदान इस प्रकार प्रति आवास हेतु रुपये 07 लाख का अनुदान दिया गया है। 200 से अधिक एकल ग्राम पेयजल योजना हेतु 35 करोड रुपये स्वीकृत किये गये है। 216 करोड रुपये की लागत से आपदा के दौरान क्षतिग्रस्त ग्रामीण पेयजल योजनाओं के पुनर्निर्माण की कार्यवाही प्रारम्भ की गई है। 879.50 करोड रुपये के बाढ सुरक्षा कार्य स्वीकृत किये गये है। लगभग 6553 किमी. लम्बाई के ग्रामीण एवं अन्य जनपद मार्गों के निर्माण/पुनर्निर्माण की कार्यवाही प्रारंभ की गई है। लगभग 2183 कि.मी. लम्बाई के राज्यीय राजमार्ग एवं मुख्य जनपद मार्गों के निर्माण/पुनर्निर्माण की कार्यवाही प्रारंभ की गई है। आपदा से प्रभावित 4377 गांवों/बसावटों में विद्युत आपूर्ति से बाधित वर्तमान तक 4350 गांवों/बसावटों में विद्युत आपूर्ति सुचारू की गई है। तीर्थ यात्रा में आने वाले यात्रियों के पंजीकरण हेतु बायोमैट्रिक पंजीकरण की सुविधा प्रारंभ की गई है। चारधाम यात्रा मार्ग में यात्रियों की सुविधा/सुरक्षा के लिए राज्य आपदा प्रतिवादन बल (एस.डी.आर.एफ.) की तैनाती की गई है। आपदा की स्थिति में तत्काल कार्यवाही एवं यात्रियों की सुरक्षित निकासी सुनिश्चित करने के लिए चारधाम यात्रा मार्ग पर 52 हैलीपैड़ों का निर्माण किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार के सफल प्रयासों से ही सुगम और सुरक्षित चारधाम यात्रा को शुरू कराया जा सका है। चारधाम यात्रा प्रदेश की आर्थिक का मुख्य आधार है। अभी तक लगभग 3 लाख श्रद्धालु व पर्यटक चारधाम यात्रा पर आये है।
राज्य सरकार अपने संकल्प के लिए आपदा पुनर्निर्माण के कार्यों में युद्ध स्तर पर लगी हुई है। उन्होंने कहा कि आपदा जैसे मुद्दे पर अनावश्यक राजनीति से बचा जाना चाहिए और यदि हमारे सम्मानित विपक्ष अथवा किसी अन्य संगठन के पास भी कोई महत्वपूर्ण सुझाव जानकारी, अनुभव है, तो हम उसका लाभ उठाना चाहेंगे। महज आलोचना करके इस राज्य के भविष्य को बनाना संभव नही है।