प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट  ने यूपी गो हत्या निरोधक कानून  के लगातार दुरुपयोग पर चिंता जताते हुए तल्ख़ टिप्पणी की है. हाईकोर्ट ने कहा है कि इस कानून का ‘निर्दोषों’ के खिलाफ दुरुपयोग किया जा रहा है. यह टिप्पणी जस्टिस सिद्धार्थ की एकल पीठ ने गो हत्या और गो मांस की बिक्री के एक आरोपी की जमानत को मंजूर करते हुए की. कोर्ट ने कानून के दुरुपयोग पर चिंता भी जताई है.कोर्ट ने शामली जनपद निवासी आरोपी रहमू उर्फ रहमुद्दीन को सशर्त जमानत पर रिहा करने का भी आदेश दिया. कोर्ट ने कहा कि जब भी कोई मांस पकड़ा जाता है, इसे गो मांस के रूप में दिखाया जाता है. कई बार इसकी जांच भी फॉरेंसिक लैब में नहीं कराई जाती है. इस कानून का गलत इस्तेमाल निर्दोषों के खिलाफ किया जा रहा है.

आवारा मवेशियों को लेकर की ये टिप्पणी
गौरतलब है कि याची के खिलाफ शामली के भवन थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई थी. इस मामले में याची मौके से गिरफ्तार नहीं हुआ था. याची 5 अगस्त 2020 से जेल में बंद है. हाईकोर्ट ने राज्य में छोड़े गए मवेशियों और आवारा गायों को लेकर भी महत्वपूर्ण टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि किसी को नहीं पता होता कि गाय पकड़े जाने के बाद कहां जाती है. दूध न देने वाली गायों को छोड़ना समाज को बड़े पैमाने पर प्रभावित करता है.
कोर्ट ने कहा कि अधिकतर मामले में जब्त मांस की जांच ही नहीं की जाती है, जिसकी वजह से आरोपी ऐसे अपराध के लिए जेल में सड़ता रहता है, जो शायद उसने किया ही नहीं. इतना ही नहीं, जब भी गायों को बरामद दिखाया जाता है तो उसका जब्ती मेमो भी भी नहीं बनाया जाता है. किसी को पता नहीं चलता की बरामद होने के बाद गायें कहां जाती हैं. PLC.

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here