
रोहतक,
स्थानीय सैक्टर-3 निवासी सुषमा देवी पत्नी आजाद सिंह मोर ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान को पत्र लिखकर इंडियन ऑयल कार्पोरेशन में चल रही धांधलियों के खिलाफ जांच करने की मांग की है। सुषमा देवी ने बताया कि इंडियन ऑयल ने जुलाई, 2012 में खेरड़ी मोड़ पर किसान सेवा केन्द्र के नाम से आवेदन मांगे थे। जिस पर उन्होंने जुलाई, 2012 में इसके लिए आवेदन किया था। आवेदन व साक्षात्कार में पूरे नम्बर मिलने के बाद भी कंपनी के अधिकारियों ने रिश्वत लेकर एक ऐसी अनपढ़ व वृद्ध महिला के नाम किसान सेवा केन्द्र अलाट कर दिया। कंपनी की शर्तों के अनुसार यह केन्द्र पाने वाले को स्थानीय निवासी होना जरूरी है लेकिन यह महिला रोहतक की न होकर उस दौरान दिल्ली निवासी थी। लेकिन फिर भी कम्पनी के अधिकारियों ने रिश्वत लेकर इसके नाम किसान सहायता केन्द्र का आवंटन कर दिया। इस सम्बन्ध में जब कंपनी के अधिकारियों से आरटीई के तहत जानकारी लेनी चाही तो उन्हें वो भी नहीं दी जा रही है। इस पूरे घटनाक्रम में जबरदस्त घोटाले की बू आ रही है।
सुषमा देवी ने बताया कि जब उन्होंने इस सम्बन्ध में स्वयं जांच की तो पाया कि उक्त महिला का पहचान पत्र व अन्य कागजात दिल्ली निवासी होने की तस्दीक कर रहे हैं। कंपनी की शर्तों के अनुसार आवेदक को पढ़ा-लिखा, युवा होना जरूरी है। जबकि जिसको यह किसान सेवा केन्द्र अलाट किया गया है वह इतनी वृद्ध है कि वह स्वयं चल-फिर भी नहीं सकती तथा किसी भी सूरत में स्वयं किसान सहायता केंद्र को नहीं संभाल सकती। इसके अलावा वह अनपढ़ है, जिसको भी कंपनी के अधिकारियों ने नजरअंदाज कर दिया। इस सम्बन्ध में उन्होंने कंपनी अधिकारियों से कई बार बातचीत करने की भी कोशिश की लेकिन कोई संतोषजनक जवाब उन्हें नहीं मिल सका। जिससे क्षुब्ध होकर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व पेट्रोलियम मंत्री को पत्र लिखा है।
सुषमा देवी ने मांग की है इस मामले की निष्पक्ष जांच करवाई जाये तथा दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जाये। उन्होंने कहा कि एक तरफ तो इंडियन ऑयल कार्पोरेशन भ्रष्टाचार के विरूद्ध बड़े-बड़े दावे करता है जबकि उसके अधिकारी इस तरह के आवंटन में भारी भ्रष्टाचार करते हैं तथा जरूरतमंदों का हिस्सा हड़पकर गैर काबिल लोगों को दे रहे हैं। इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिये तथा उन्हें न्याय मिलना चाहिये।
सुषमा देवी ने बताया कि जब उन्होंने इस सम्बन्ध में स्वयं जांच की तो पाया कि उक्त महिला का पहचान पत्र व अन्य कागजात दिल्ली निवासी होने की तस्दीक कर रहे हैं। कंपनी की शर्तों के अनुसार आवेदक को पढ़ा-लिखा, युवा होना जरूरी है। जबकि जिसको यह किसान सेवा केन्द्र अलाट किया गया है वह इतनी वृद्ध है कि वह स्वयं चल-फिर भी नहीं सकती तथा किसी भी सूरत में स्वयं किसान सहायता केंद्र को नहीं संभाल सकती। इसके अलावा वह अनपढ़ है, जिसको भी कंपनी के अधिकारियों ने नजरअंदाज कर दिया। इस सम्बन्ध में उन्होंने कंपनी अधिकारियों से कई बार बातचीत करने की भी कोशिश की लेकिन कोई संतोषजनक जवाब उन्हें नहीं मिल सका। जिससे क्षुब्ध होकर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व पेट्रोलियम मंत्री को पत्र लिखा है।
सुषमा देवी ने मांग की है इस मामले की निष्पक्ष जांच करवाई जाये तथा दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जाये। उन्होंने कहा कि एक तरफ तो इंडियन ऑयल कार्पोरेशन भ्रष्टाचार के विरूद्ध बड़े-बड़े दावे करता है जबकि उसके अधिकारी इस तरह के आवंटन में भारी भ्रष्टाचार करते हैं तथा जरूरतमंदों का हिस्सा हड़पकर गैर काबिल लोगों को दे रहे हैं। इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिये तथा उन्हें न्याय मिलना चाहिये।