आचार्य रूपचंद्र के जीवन पर आधारित हंस अकेला राष्ट्रपति को भेंट

0
27
जयश्री राठौड़,,
आई.एन.वी.सी,,
दिल्ली,,
                    अत्यंत पवित्र और अध्यात्मिक वातावरण में श्लोक और मंत्रोच्चार के बीच आचार्य रूपचन्द्र के जीवन पर आधारित पुस्तक हंस अकेला  राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवी सिंह पाटिल को भेंट की गई। राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक सादे समारोह में संसदीय कार्य एवं जल संसाधन मंत्री श्री पवन कुमार बंसल ने आचार्य श्री रूपचंद्र जी और पुस्तक की लेखिका डॉ. विनीता गुप्ता की मौजूदगी में पुस्तक राष्ट्रपति को भेंट की हंस अकेला पुस्तक आचार्य रूपचंद्र के असाधारण जीवन पर आधारित हैं, जिसमें उनका संत, तपस्वी, आध्यात्म और सेवाभावी जीवन का कथात्मक वर्णन है। लेखकीय वक्तव्य में विनीता गुप्ता ने कहा कि यह पुस्तक उनके लिए भौतिक जगत से आध्यात्म जगत की यात्रा है इस यात्रा में पथिक के रूप में जो कुछ महसूस किया, उसे शब्दों में चित्रित कर दिया गया है। इस पुस्तक में आचार्यजी के जीवन से लेकर उनकी अनवरत यात्रा को समेटा गया है जिसमें उनका देश विदेश में प्रवास, उनके लेखन, क्रांतिधर्मी विचार, कविता और सेवाभावी मन शामिल हैं कार्यक्रम में आचार्य रूपचंद्र जी ने मंगलपाठ के साथ सभी उपस्थित जन को संदेश देते हुए कहा ,मेरी पूरी यात्रा आकाश से जुड़ने की है आपसे यही कहना है कि पिंजरों से नहीं, आकाश से जुड़ें, माटी के दीए से नहीं. रौशनी से जुड़ें द्य मान्यताओं से नहीं अभ्यास और अनुभव से जुड़ें द्य कोरे उपदेशों से नहीं सेवा और संवेदना से जुड़ें। कार्यक्रम का शुभारंभ रिखबचन्द्र जैन के स्वागत वक्तव्य से हुआ इसके बाद संघ प्रवर्तिनी साध्वी मंजुलाश्री ने शाल और श्री अरुण तिवारी ने राष्ट्रपति को सरस्वती प्रतिमा भेंट की। कार्यक्रम का संचालन प्रो. गंगा प्रसाद विमल ने किया और धन्यबाद ज्ञापन प्रो. फूलचंद्र मानव ने किया। इस अवसर के साक्षी बने अनेक प्रबुद्धजन जिनमें प्रमुख थे श्रीमती मधु बंसल, डॉ. मनोरमा त्रिखा, श्रीमती मंजुबाई जैन, श्री गौरीशंकर रैना आदि।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here