आओ मन की गांठें खोलें नृत्य में एक नया प्रयोग – अटल बिहारी बाजपाई की कविताओं का हुआ मंचन

0
31

कत्थक नृत्यांगना डॉ राखी दुबेआई एन वी सी न्यूज़
भोपाल ,

कलान्धिका नृत्य नाट्य संस्था समिति भोपाल द्वारा आयोजित चौथे नृत्य आँगन राष्ट्रीय नृत्य महोत्सव के अंतिम दिन की शुरुआत आओ मन की गांठें खोलें नृत्य नाटिका से हुई. भारत के सांस्कृतिक मंत्रालय के सहयोग से हुई इस नाटिका में पहली बार किसी नृत्य नाटिका के ज़रिये अटल बिहारी बाजपाई की कविताओं का मंचन हुआ .

नाटिका प्रोजेक्टर पर अटल जी की १० कविताओं के छोटे छोटे हिस्से दिखाकर शुरू होती है . अटल जी के किरदार में अभिनेता बबलू दहिया अटल जी की कविता “मैं सोचने लगता हूँ , बोलते हुए प्रवेश करते हैं . श्रीधर नागराज के संगीत से सजी इन कविताओं का निर्देशन किया भोपाल की अग्रणी कत्थक नृत्यांगना डॉ राखी दुबे ने. आओ मन की गांठें कविता में अटल जी का गाँव से लगाव बखूबी दिखाया गया. कदम मिलकर चलना होगा में अटल जी की सबको साथ लेकर चलने की सोच दिखाई गयी . इनके अलावा गीत नया गाता हूँ , मौत से ठन गयी एवं कुछ अन्य कविताओं का भी मंचन हुआ .

नाटिका में  अटल जी द्वारा हीरोशिमा की पीड़ा पर भी जो कविता  लिखी गयी उसका मंचन किया गया . आओ मन की गांठें खोलें कलंधिका नृत्य नाट्य संस्था समिति भोपाल की प्रस्तुति रही . सह निर्देशन सूरज शर्मा एवं सुरोमिता पांजा का रहा .

नाटिका के बाद पटियाला से आई मानसी सक्सेना के कत्थक की प्रस्तुति हुई , राजेंदर गंगानी जी की शिष्य मानसी सक्सेना ने जयपुर घराने को बखूबी पेश किया . इसके बाद असम के शास्त्रीय नृत्य सत्तरिया की मनमोहक प्रस्तुति हुई जो डॉ मीरनंदा बरठाकुर के निर्देशन में हुई . मुख्यातिथि के रूप में वरिष्ठ रंगकर्मी श्री अलोक चटर्जी मौजूद रहे . भारत के सांस्कृतिक मंत्रालय भारत सरकार और संगीत नाटक अकादमी के सहयोग से हो रहे इस नृत्य आँगन उत्सव का आज समापन हुआ और संता ने अगले वर्ष भी इसे करने का वायदा किया .

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here