
भारतीय पुरात्व सर्वेक्षण की स्थापना 1861 में की गई थी। राष्ट्रीय महत्व के स्थलों तथा स्मारकों का रखरखाव करना इसका मुख्य ध्येय है जिसमें स्मारकों तथा इसके परिवेश का ढांचागत तथा रासायनिक संरक्षण शामिल है। इसके साथ-साथ पुरातत्व अनुसांधन तथा उत्खनन कराना व ऐसी धरोहरों के बारे में जनता को इनकी जानकारी देना भी इसके कार्यों में शामिल है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण भारत सरकार तथा राज्यों के कई विभागों के साथ गहनता से अपना कार्य करता है। इनमें से डाक विभाग के साथ इसका विलक्षण सम्बन्ध है जो जारी किए गए डाक टिकटों में प्रदर्शित होता है।
डाक टिकटों में इस भूमि, इतिहास, भूगोल, कला एंव शिल्प, उद्योग तथा संचार, कृषि, विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी, अवसरों तथा विशेष व्यक्तियों के विशिष्ट तथा समृद्ध पहलुओं का दर्शन होता है। इससे सम्पूर्ण देश एवं अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर संदेश मिलता है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की शताब्दी
पहला दिवस कवर
डाक टिकट : पीतलखोड़ा गुफा महाराष्ट्र से प्राप्त यक्ष मूर्ति : चट्टान से काट कर बनाया गया वास्तुशिल्प ¼दूसरी शताबदी बी सी½ ¼बायें½ तथा कालीबंगा, राजस्थान से प्राप्त सील जिस पर हड़प्पा लिपी अंकित ¼दायें½
विश्व धरोहर स्मारक
भारत के कुछ स्मारकों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वैश्विक मानवीय मूल्यों के प्रतीक के रूप में मान्यता मिली है तथा यूनेस्कों ने इन्हें वैश्विक धरोहर स्मारक चिन्हित किए हैं। पांच प्राकृतिक साइटों के अलावा 23 सांस्कृतिक साइटों ने समय-समय पर इन्हें अपनी सूची में शामिल किया है। इनमें से कुछ पर डाक टिकट जारी किए गए हैं।
ताजमहल, आगरा, उत्तर प्रदेश
भारत में इस्लामिक कला की सौगात
सत्रहवीं शताब्दी में मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में सफेद संगमरमर से इसे बनवाया। ताजमहल वैश्विक मानवीय मूल्यों का प्रतीक तथा विश्व में इसे प्यार की यादगार के रूप में पहचान मिली, शायद इस्लामिक वास्तु कला का अत्यंत सराहनीय तथा विश्व के सात आश्चर्यों में शामिल।
कोणार्क ओडि़सा का सूर्य मंदिर
सूर्य भगवान के वाहन को स्मारक के रूप में दर्शाया गया है। एक बड़े रथ को सात घोड़ों द्वारा खीचें जाने और इसके बारह जोड़ी पहियों पर उत्कृष्ट नक्कासी की गई है।
समुद्र तट मंदिर महाबलिपुरम, तमिलनाडु
समुद्र तट पर मंदिर को रथ के रूप में निमार्ण किया गया है और इसे इसके मूलरूप में संरक्षित किया गया है। इस पर खूबसूरत नक्कासी की गई है।
विक्टोरिया टर्मिनस, मुम्बई
छत्रपति शिवाजी टर्मिनस इसे पहले विक्टोरिया टर्मिनस के नाम से जाना जाता रहा। इसे लंदन के स. पनकरास स्टेशन की तरह डिजाइन किया गया। इसमें विक्टोरियन इटलीनेट गाथिक वास्तु शिल्प तथा परम्परागत भारतीय वास्तु शिल्प का मेल किया गया है।
निर्मित धरोहर
भारत के किले
सुरक्षा की दृष्टि से किले बनाये गए जिनमें स्व-निर्भर नगरों का निर्माण किया गया। इनमें महल तथा विशाल भवन भी बनाये गए। भारतीय इतिहास के मध्य युग में विभिन्न राजतंत्रों ने शानदार तथा विशाल किलों का निर्माण कराया।
जोधपुर का किला
जोधपुर का किला खूबसूरत वास्तु शिल्प का उत्कृष्ट उदाहरण है। इसमें लम्बी मीनारें, दीवारों में जालियॉं देखने में नायाब लगती हैं जैसे पत्थरों में काव्य गढ़ा गया हो।
ग्वालियर का किला
इसे हिन्द के किलों के हार में मोती जड़ा माना जाता है। यह राजपूत राजाओं, कछावा पाल राजवंश, प्रतिहारा शासक, मुसलिम शासक, तोमर, लोधी राजवंश, मुगलों और ब्रिटिश शासन का साक्षी रहा है।
वेल्लोर किला
दक्षिण में यह किला मिलीटरी वास्तुशिल्प का अत्यन्त परिपूर्ण नमूना है।
भारत में विभिन्न धर्मों एवं मानव जाति के समूह मिलजुल कर रहते हैं। इसके परिणामस्वरूप सभी के भव्य धार्मिक ढांचों का ऐतिहासिक अवधि के दौरान निर्माण हुआ और विश्व की कलात्मकता तथा वास्तुशिल्प का ध्यान आकर्षित किया।