अपनी बुद्धिमत्ता का लोहा मनवाती ”बिहारी” प्रतिभाएं

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*निर्मल रानी भारत में जब कभी बुद्धिमत्ता का जि़क्र होता है उस समय चाणक्य का नाम देश के सबसे बुद्धिमान व्यक्ति के रूप में लिया जाता है। बिहार की ही पृष्ठभूमि के चाणक्य की नीतियां आज भी न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व के लिए प्रासंगिक समझी जाती हैं। इसी प्रकार शिक्षा के सर्वोच्च केंद्र के रूप में समझा जाने वाला शैक्षिक संस्थान नालंदा विश्वविद्यालय भी बिहार राज्य की पावन भूमि में ही स्थित है। गोया हम कह सकते हैं कि योग्यता, प्रतिभा तथा बुद्धिमत्ता का बिहार राज्य से पुराना नाता है। यह और बात है कि गत् चार दशकों से उसी बिहार राज्य के निवासी राज्य के अयोग्य,भ्रष्ट तथा सत्तालोलुप स्वार्थी नेताओं की $गलत नीतियों के चलते आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं तथा अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए उन्हें रोज़गार हेतु अन्य राज्यों में जाकर दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही हैं। और उसी बिहारी समाज के लोग आज अपराधी प्रवृति के ठाकरे घराने के लिए ‘तबेले वाले अथवा ‘रेहड़ी वाले बनकर उसकी नज़रों में खटक रहे हैं। बहरहाल, चाणक्य व नालंदा की उसी धरती ने एक बार फिर देश व दुनिया को यह दिखा दिया है कि बिहार अब भी प्रतिभावान लोगों की धरती है तथा इस राज्य में आज भी प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है। टेलीविज़न के सोनी चैनल पर प्रसारित होने वाले गेम शो, कौन बनेगा करोड़पति (केबीसी) सीज़न 4 तथा सीज़न 5 में लगातार बिहारी प्रतिभाएं अपनी योग्यता का लोहा मनवाती आ रही हैं। केबीसी सीज़न 4 में जहां झारखंड की राहत तसलीम जैसी साधारण गृहणी ने एक करोड़ रुपये जीतकर अपने सामान्य ज्ञान का लोहा मनवाया वहीं केबीसी सीज़न 5 में भी बिहार के ही सुशील कुमार ने पांच करोड़ रुपये जीतकर केबीसी में एक इतिहास रच डाला। इसी गेम शो, कौन बनेगा करोड़पति में सुशील कुमार से दो सप्ताह पहले बिहार के ही दरभंगा जि़ले के एक $गरीब परिवार के लडक़े ने अपनी योगयता के बल पर पच्चीस लाख रुपये जीते थे। मोतीहारी के सुशील कुमार को पांच करोड़ रुपये की धनराशी जीते हुए अभी एक सप्ताह भी नहीं बीता था कि राज्य की राजधानी पटना के एक बैंक कर्मचारी अनिल कुमार ने एक करोड़ रुपये की धनराशि जीतकर पूरे देश का ध्यान बिहार की ओर आकर्षित कर दिया। आए दिन ठाकरे घराने के निशाने पर रहने वाला तथा उनके द्वारा अपमानित किया जाने वाला बिहारी समाज अपनी योग्यता व प्रतिभा के दम पर अचानक आम भारतीयों का ध्यान अपनी ओर खींचने में सफल रहा है। इन साधारण परंतु ज्ञानवान प्रतिभाओं के शानदार प्रदर्शन के परिणामस्वरूप देश के लोगों को एक बार पुन: चाणक्य की बुद्धिमानी तथा नालंदा विश्वविद्यालय की याद आने लगी है। सामान्य ज्ञान से संबंधित केबीसी गेम शो में पांच करोड़ रुपये जीतने वाले सुशील कुमार का संबंध एक ऐसे $गरीब परिवार से है जो अपने मकान के क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण अपना गिरता हुआ मकान छोडक़र पड़ोस में एक अन्य शिक्षक की अनुकंपा पर उसी मकान में शरण लिए हुए था। सुशील व उसके पिता के पास इतना पैसा नहीं था कि वे अपने मकान की मुरम्मत तक करवा सकें। परंतु गरीबी के इस आलम में भी सुशील के पिता तथा स्वयं सुशील कुमार बीबीसी रेडियो सेवा सुनना नहीं छोड़ते थे। गौरतलब है कि बिहार देश का एक ऐसा राज्य है जहां विश्व की सबसे लोकप्रिय व ज्ञानवर्धक समाचार प्रसारण सेवा ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कारपोरेशन अर्थात् बीबीसी राज्य के अधिकांश लोगों द्वारा नियमित रूप से सुनी जाती है। देश व दुनिया के समाचारों का ज्ञान हासिल करने के प्रति बिहार के लोगों का आकर्षण ही आज देश में सिविल सर्विसिज़ की होने वाली परीक्षाओं में बिहार का प्राय: सबसे अधिक प्रतिनिधित्व रखता है। समाचार सुनने व ज्ञान अर्जित करने हेतु वहां के लोगों का यह आलम है कि गरीबी के चलते कहीं-कहीं केवल एक रेडियो को घेरकर दर्जनों लोग समाचार सुनते हैं तो कहीं चाय की दुकानों व अन्य सार्वजनिक स्थलों पर बीबीसी सेवा शुरु होने से पूर्व ही भीड़ इकट्ठी होने लगती है। कहीं रिक्शा चलाने वाले लोग भी अपने साथ रेडियो लेकर समाचार सुनते दिखाई देते हैं तो कभी गाय-भैंस की पीठ पर बैठकर उन्हें चराने वाले लोगों के हाथों में भी रेडियो नज़र आता है। ज़ाहिर है यह सब उनकी समाचार सुनने की उनकी उत्सुकता व जागरुकता का ही परिणाम है कि बिहार के लोग गरीबी के बावजूद देश और दुनिया के हालात से बाखबर रहने की पूरी कोशिश करते हैं। बहरहाल, सुशील कुमार ने पांच करोड़ रुपये जीतने के बाद स्वयं को $गरीबी से उबार कर न केवल करोड़पति बना लिया बल्कि करोड़पति बनने के बाद उसके द्वारा व्यक्त किए गए विचारों को सुनकर भी ऐसा प्रतीत हुआ कि ‘बिहारी कहकर बुलाए जाने वाले यह प्रतिभाशाली युवक जनसमस्याओं व राष्ट्रीय स्तर की समस्याओं के प्रति कितना गंभीर हैं। सुशील कुमार ने बताया कि वह महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार योजना के अंतर्गत् संचालित किए जाने वाले वृक्षारोपण कार्यक्रम से इतना प्रभावित है कि वह मनरेगा की इस योजना में भी जीती हुई धनराशि का कुछ हिस्सा लगाना चाहता है। निश्चित रूप से यह सुशील कुमार की बुद्धिमत्ता व जागरुकता का ही दूसरा प्रमाण है। सुशील कुमार के मनरेगा के विज्ञापन में भी नज़र आने की संभावना है। इस संबंध में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के साथ उसकी बातचीत चल रही है। मनरेगा के विज्ञापन में अब तक अमिताभ बच्चन,शाहरुख खान व आमिर $खान जैसे प्रसिद्ध फिल्म अभिनेताओं को देखा जा सकता है। इतना ही नहीं बल्कि वह अपने क्षेत्र में शौचालयों की कमी के परिणामस्वरूप इधर-उधर होने वाली गंदगी से भी बहुत चिंतित है तथा इसी धनराशि का कुछ हिस्सा अपने शहर में सार्वजनिक शौचालय के निर्माण कार्य में भी लगाना चाहता है। इसके अतिरिक्त उसकी इच्छा है कि वह कोई ऐसी योजना बनाए जिससे कि $गरीबी की मार झेलने वाले वे बच्चे जो आर्थिक तंगी के चलते शिक्षा ग्रहण नहीं कर सकते तथा बाल्यावस्था में ही मज़दूरी करने को मजबूर हो जाते हैं, उन्हें शिक्षा प्राप्त करने का पूरा अवसर मिल सके। इसी प्रकार अनिल कुमार नामक पटना का दूसरा करोड़पति बना व्यक्ति एक ऐसा स्वास्थय केंद्र खोलने का इच्छुक है जहां असमय बीमारी अथवा दुर्घटना से पीडि़त कोई व्यक्ति अपना इलाज करा सके। गोया $गरीब व साधारण परिवार के यह बिहारी प्रतिभाशाली युवक केवल करोड़पति बनकर अपना व अपने परिवार का भविष्य मात्र ही बदलने के इच्छुक नहीं बल्कि समाज व देश के लिए भी बहुत कुछ करने का हौसला इन प्रतिभाशाली युवाओं में दिखाई देता है। के बी सी में निश्चित रूप से देश के लगभग अधिकांश राज्यों के प्रतियोगियों ने हिस्सा लिया व लेते आ रहे हैं। परंतु जिस प्रकार बिहार के उपरोक्त प्रतियोगियों ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है, उससे सबक लेते हुए बिहार के राजनेताओं को इन जैसे और तमाम प्रतिभाशाली युवाओं के बारे में बहुत कुछ सोचने की ज़रूरत है। इसमें कोई संदेह नहीं कि यदि इन जैसे अन्य करोड़ों होनहार युवाओं को शिक्षा ग्रहण करने के पर्याप्त अवसर मिलें तथा देश की सेवा करने का इन्हें मौक़ा मिले तो यही ‘तबेले वाले व ‘श्रमिक वर्ग की पहचान समझे जाने वाले युवाओं में इतनी क्षमता है कि वे देश, देश की राजनीति तथा देश की शासन प्रणाली का चेहरा बदल डालें। परंतु अ$फसोस तो इसी बात का है कि जहां $गरीब व साधारण परिवार से ऐसे प्रतिभाशाली लोग के बी सी के माध्यम से आगे आकर अपनी असीम योग्यताओं का परिचय दे रहे हों, वहीं उसी बिहार राज्य में परिपक्व समझे जाने वाले लगभग सभी राजनैतिक दलों के तमाम भ्रष्ट राजनेता तथा भ्रष्ट अधिकारी उसी चाणक्य की धरती को बेच खाने पर भी तुले हुए हैं। परिणामस्वरूप आज बिहार जहां बाढ़ व सूखे जैसी प्राकृतिक विपदा से नहीं उबर पा रहा है, वहीं सडक़, बिजली व पानी जैसी आधारभूत सुविधाओं की कमी के चलते विदेशी पूंजीनिवेश व उद्योगीकरण के क्षेत्र में भी यह राज्य अन्य राज्यों की तुलना में काफी पिछड़ा हुआ है। और बिहार के इसी पिछड़ेपन ने जिसके जि़म्मेदार प्राय: वहां के स्थानीय राजनेता व राजनीति तथा जातिवाद जैसी विसंगतियां हैं, ने बिहार के लोगों को $गरीबी व दया का पात्र बना दिया है। देश का बड़ा राज्य होने के कारण बेशक आज इस राज्य के लोग बड़ी संख्या में अपने राज्य से अन्य राज्यों की ओर रोज़गार की खातिर जाते रहते हैं। परंतु देश की शासन व्यवस्था में भी बिहार के बड़े से बड़े अधिकारी तथा नीतिगत् निर्णय लेने वाले बुद्धिमान लोग देखे जा सकते हैं। सिविल सर्विसेज़ परीक्षाओं में बिहार के अग्रणी रहने का सिलसिला भी कोई नया नहीं है। आर्थिक तंगी में परवरिश पाने के बावजूद देश की सर्वोच्च सेवा में शामिल होने का बिहार के युवाओं का पुराना शौक़ है। इसी कारण आज देश के प्रत्येक कोने में बिहारी मूल के प्रशासनिक अधिकारी देखे जा सकते हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि यदि देश व बिहार राज्य की सरकार ऐसे प्रतिभाशाली युवाओं को शिक्षित करने की ओर गंभीरता से अपना ध्यान दे तो इन बिहारी युवाओं में इतनी क्षमता है कि वे देश की तस्वीर को बदलकर रख दें।

**निर्मल रानी कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर निर्मल रानी गत 15 वर्षों से देश के विभिन्न समाचारपत्रों, पत्रिकाओं व न्यूज़ वेबसाइट्स में सक्रिय रूप से स्तंभकार के रूप में लेखन कर रही हैं.

Nirmal Rani (Writer) 1622/11 Mahavir Nagar Ambala City  134002 Haryana phone-09729229728 *Disclaimer: The views expressed by the author in this feature are entirely her own and do not necessarily reflect the views of INVC

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