अंगड़ाई लेता किसान आंदोलन

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-तनवीर जाफ़री-

                                                                   भारत सरकार व किसानों के प्रतिनिधियों के मध्य 22 जनवरी को हुई ग्यारहवें दौर की अंतिम वार्ता के भी विफल होने तथा उसके बाद 26 जनवरी को दिल्ली में किसानों के ट्रैक्टर मार्च के दौरान कुछ जगहों पर फैली हिंसा के बाद आंदोलन में जो गतिरोध की स्थिति बन चुकी थी,वह संभवतः अब समाप्त होने जा रही है। विभिन्न राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी का विरोध करने के बाद  तथा फ़सल कटाई का काफ़ी हद तक काम निपटाने के बाद आंदोलनकारी किसानों के संगठन संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा एक बार फिर अपने आंदोलन को तेज़ करते हुए सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है।    

                                                                   ग़ौरतलब है कि कृषि मंत्री और किसान संगठनों के प्रतिनिधि नेताओं के बीच 22 जनवरी को हुई 11वें दौर की बैठक भी बेनतीजा समाप्त हो गई थी। उस समय सरकार द्वारा किसानों के साथ अगली किसी बैठक के लिए कोई तिथि निश्चित नहीं की गयी थी। उस समय सरकार ने यह भी स्पष्ट कर दिया था कि सरकार की तरफ़ से जो भी बेहतर विकल्प दिया जा सकता था, वह दिया गया है। अब यदि किसान नेता इस पर सहमत होते हैं, तभी अगली बातचीत संभव होगी। परन्तु यदि किसान नेता केवल कृषि क़ानून रद्द करने पर ही अड़े रहेंगे, तो बातचीत जारी रखने का कोई अर्थ ही नहीं है। तब से लेकर अब तक अर्थात लगभग दो माह से भी अधिक समय बीत चुका है। इस बीच सत्ता द्वारा किसान आंदोलन को हतोत्साहित करने की अनेक कोशिशें की गईं। कई टी वी चैनल्स ने तो किसान आंदोलन को समाप्त बताना भी शुरू कर दिया था। परन्तु पिछले दिनों संयुक्त किसान मोर्चा की दिल्ली सीमा पर आयोजित एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में  एक बार फिर सिलसिलेवार तरीक़े से अपने दिन प्रतिनिदिन के आंदोलन की रूप रेखा पेश की गयी।

                                                                       इसमें मुख्य रूप से 5 अप्रैल को देश के सभी 736 ज़िलों में भारतीय खाद्य निगम (एफ़सीआई) के कार्यालय के बाहर 11 बजे से शाम छह बजे तक धरना प्रदर्शन किया जाएगा। इसी तरह 10 अप्रैल को 24 घंटे के लिए केएमपी (कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेस-वे) को जाम किये जाने की योजना है। एक्सप्रेसवे 10 अप्रैल को पूर्वान्ह्र 11 बजे से अगले दिन पूर्वान्ह्र 11 बजे तक अवरुद्धरहेगा ।’इसी तरह किसानों द्वारा 13 अप्रैल को जलियांवाला बाग़ की घटना को याद किया जाएगा तथा वैशाखी का त्योहार व ख़ालसा दिवस भी किसानों के धरनास्थल पर दिल्ली की सीमाओं पर मनाया जाएगा। इसी तरह बाबा साहब भीमराव आंबेडकर की जयंती के अवसर पर 14 अप्रैल को संविधान बचाओ दिवस मनाया जाएगा। और इस सिलसिले की जो सबसे महत्वपूर्ण घोषणा की गयी है वह है संसद तक का पैदल मार्च व संसद का घेराव करना। हालांकि अभी इसकी निश्चित तिथि घोषित नहीं हुई है परन्तु समझा जा रहा है कि इसके लिए मई के पहले पखवाड़े में कोई भी तारीख़ निश्चित की जा सकती है। किसान नेताओं द्वारा यह ज़रूर कहा गया है कि संसद कूच में महिलाएं, दलित, आदिवासी, बहुजन, बेरोज़गार युवा समेत समाज का हर वर्ग शामिल होगा। घोषित कार्यक्रम के अनुसार संसद कूच में शामिल होने के लिए आंदोलनकारी दिल्ली बॉर्डर तक ट्रैक्टर व अन्य वाहनों के द्वारा पहुंचेंगे और बॉर्डर से आगे किसान नेताओं की अगुवाई में दिल्ली संसद की ओर पैदल कूच किया जाना प्रस्तावित है। किसान नेताओं द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार आंदोलनकारी सभी बॉर्डर से एक साथ पैदल मार्च करते हुए संसद के लिए निकलेंगे।

                                                                   पिछले 2 महीने से भी लंबे समय तक सरकार व किसानों के मध्य बने गतिरोध के दौरान सरकार व किसान नेता अपने अलग अलग मिशन पर व्यस्त रहे। किसान अपने खेतों में फ़सल की कटाई में व्यस्त हो गया तो किसानों के नेता विधानसभा चुनावों का सामना कर रहे राज्यों के अतिरिक्त और भी कई राज्यों में अपने आंदोलन का विस्तार करने में व्यस्त रहे। दूसरी ओर प्रधानमंत्री सहित भारतीय जनता पार्टी के लगभग सभी शीर्ष नेता चुनावी राज्यों में अपनी जीत सुनिश्चित करने में व्यस्त दिखाई दिए। इन चुनाव प्रचारों के दौरान किसान नेताओं द्वारा तो कई जगह भाजपा का विरोध करने की अपील की गयी परन्तु भाजपा ने किसानों के आंदोलन का मुद्दा उठाने से परहेज़ किया। हाँ इतना ज़रूर है कि यदि भाजपा को इन चुनावों में व्यापक जीत हासिल होती है तो भाजपा इन चुनाव परिणामों को कृषि क़ानूनों के समर्थन में तथा किसान आंदोलन के विरुद्ध जनता जनार्दन द्वारा दिया गया जनमत बताने से हरगिज़ नहीं चूकेगी। ठीक उसी तरह जैसे कि नोटबंदी का मुद्दा भाजपा ने 2019 के चुनावों में तो बिल्कुल नहीं उठाया परन्तु पार्टी की जीत के बाद यह कहना ज़रूर शुरू कर दिया था कि यह जनमत नोटबंदी के पक्ष में जनता द्वारा दिया गया जनमत है।

                                                                     परन्तु किसानों की तरफ़ से जिस तरह के  आंदोलन की भविष्य की रूप रेखा पेश की गयी है उससे साफ़ ज़ाहिर हो रहा है कि किसानों के आंदोलन को चुनाव परिणामों से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ने वाला। और यह भी कि जिस व्यापकता के साथ संसद कूच की योजना बनाई जा रही है और इसमें न केवल किसान बल्कि सर्वसमाज के सम्मिलित होने का आह्वान किया गया है वह निश्चित रूप से केंद्र सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती पेश करने वाला है। इस बीच सत्ता समर्थकों द्वारा जिस तरह बार बार हिंसा का सहारा लेकर आंदोलनकारियों को डराने धमकाने व उनमें दहशत पैदा करने की कोशिश की जा रही है यह सभी हथकंडे भाजपा व उसकी सरकार को ही मंहगे पड़ सकते हैं। उदाहरण के तौर पर भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत पर दो बार हमला किया गया। और दोनों बार उनके समर्थन का भी विस्तार हुआ तथा आंदोलनकारियों में भी जोश व उत्साह का संचार हुआ है। अभी पिछले दिनों राजस्थान के अलवर में टिकैत पर हुए हमले के बाद उनका यह ट्वीट कि – “अलवर में क़ाफ़िले पर हमला सुनियोजित था। भाजपा के सांसद और विधायक अपने गुंडों से सड़क पर हमला कराएंगे तो यूपी में इनके सांसद-विधायकों को सड़क पर नहीं निकलने दिया जाएगा।”,अपने आप में इस बात का सुबूत है कि किसानों व सत्तापक्ष के बीच कड़वाहट दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। और इसी बीच संसद कूच की घोषणा कर किसानों ने यह संकेत भी दे दिया है कि किसान आंदोलन एक बार फिर अंगड़ाई लेने जा रहा है।

 

About the Author

Tanveer Jafri

Columnist and Author

Tanveer Jafri, Former Member of Haryana Sahitya Academy (Shasi Parishad),is a writer & columnist based in Haryana, India.He is related with hundreds of most popular daily news papers, magazines & portals in India and abroad. Jafri, Almost writes in the field of communal harmony, world peace, anti communalism, anti terrorism, national integration, national & international politics etc.

He is a devoted social activist for world peace, unity, integrity & global brotherhood. Thousands articles of the author have been published in different newspapers, websites & news-portals throughout the world. He is also recipient of so many awards in the field of Communal Harmony & other social activities.

Contact – : Email – tjafri1@gmail.com –

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